बीजेपी के लिये कितना फायदेबंद होगा महिला आरक्षण का विषय

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पांच राज्य और अगले साल होने वाले आम चुनाव से पहले केंद्र की मोदी सरकार ने महिलाओं को लेकर बड़ा दांव खेला है। सरकार ने संसद में महिलाओं को लोकसभा और विधानसभा में 33% आरक्षण देने वाला नारी शक्ति वंदन अधिनियम को पेश कर दिया है। लोकसभा में भारी बहुमत से पास हो चुका है। वर्तमान परिस्थितियों को देखें तो राज्यसभा में भी इस विधेयक को किसी चुनौती का सामना नहीं करना पड़ेगा। हालांकि, यह लागू कब होगा इसको लेकर लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं। विपक्षी दलों का कहना है कि इसे लागू करने के लिए परिसीमन और जनगणना का इंतजार क्यों करना? हालांकि, कहीं ना कहीं पिछले 27 सालों से प्रतिक्षित महिला आरक्षण विधेयक को संसद में पास कर मोदी सरकार ने बड़ा दांव खेल दिया है जिसका असर आने वाले विधानसभा चुनाव पर भी होगा। इसे 2024 चुनाव से पहले मोदी का मास्टर स्ट्रोक भी बताया जा रहा है। 

जिन पांच राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं, उनमें मध्य प्रदेश भी शामिल हैं। वर्तमान में देखें तो मध्य प्रदेश में महिला मतदाताओं को लुभाने की कोशिश भाजपा और कांग्रेस दोनों ओर से की जा रही है। कांग्रेस ने जहां पहले महिलाओं पर फोकस करते हुए 500 रुपये में गैस सिलेंडर और हर महीने 1500 रुपये देने की गारंटी कार्ड चल दी। तो वहीं अब भाजपा इसके बदले 450 रुपए में गैस सिलेंडर और हर महीने लाडली बहन योजना के तहत फिलहाल 1250 रुपए देने की घोषणा कर दी। लाडली बहन योजना को अमल में लाया जा चुका है। महिलाओं के खाते में पैसे ट्रांसफर किए जा रहे हैं। शिवराज सिंह चौहान की ओर से दावा किया जा रहा है कि आने वाले वक्त में इसे 3000 तक किया जा सकता है। 

वर्तमान स्थिति

कुल मिलाकर देखें तो इससे साफ जाहिर होता है कि मध्य प्रदेश की राजनीति में महिलाएं कितना महत्व रखती हैं। हालांकि, आंकड़ों को देखेंगे तो आश्चर्य होगा। मध्य प्रदेश में कुल मतदाताओं में महिला वोटर्स की संख्या 48.36% है। लेकिन 230 सदस्यों वाली मध्य प्रदेश विधानसभा में महिला विधायकों की संख्या 10% से भी कम है। 2018 के चुनाव में 21 महिला विधायक चुनी गई थीं। इनमें से 11 भाजपा से, 10 कांग्रेस से और एक बहुजन समाज पार्टी से थीं। पिछले तीन विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने 10 फीसदी, कांग्रेस ने 12 फीसदी महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। 2008 में, भाजपा ने 23 महिलाओं को विधानसभा टिकट दिया, जिनमें से 15 निर्वाचित हुईं। 2013 में 23 महिलाओं को टिकट मिला, 17 जीतीं। लेकिन 2018 में 24 में से केवल 11 महिलाएं चुनी गईं। कांग्रेस ने 2008 में 28 महिलाओं को टिकट दिया, जिनमें से छह जीतीं। 2013 में 23 महिला उम्मीदवारों में से केवल छह ने जीत हासिल की थी। 2018 में पार्टी ने 28 महिलाओं को टिकट दिया, जिनमें से नौ विधानसभा पहुंचीं।

भाजपा का रूख

महिला आरक्षण विधेयक को लेकर शिवराज ने कहा कि आज देश की लोकतांत्रिक यात्रा में महत्वपूर्ण पड़ाव आया है। नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व में लोकसभा में भारी बहुमत के साथ ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ पारित हुआ है। नीति निर्धारण में महिलाओं की भूमिका के विस्तारीकरण एवं उन्हें शक्ति संपन्न बनाने की दिशा में यह अधिनियम महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करेगा। उन्होंने कहा कि मोदी के नेतृत्‍व में महिला सशक्तिकरण का संकल्प सिद्ध हो रहा है। ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ लोकतंत्र में महिलाओं की सहभागिता बढ़ाने के साथ ही उन्हें सशक्त और समृद्ध भी बनाएगा। इस ऐतिहासिक निर्णय के लिए आदरणीय प्रधानमंत्री जी का हृदय से आभार व्‍यक्‍त करता हूँ। शिवराज ने एक सभा में कहा कि महिलाओं को भी आराम की जिंदगी जीने का अधिकार है। महिलाओं को भी इस धरती के संसाधनों पर बराबर का अधिकार है। अब लोकसभा और विधानसभा की 33% सीटों पर महिलाएं चुनाव लड़ सकेंगी। ये जीवन बदलने का अभियान है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि यह महिला सशक्तिकरण का एक नया अध्याय है। 

श्रेय लेने की होड़ 

भाजपा और कांग्रेस दोनों महिला आरक्षण विधेयक का समर्थन कर रहे हैं और इसका श्रेय लेने की होड़ कर रहे हैं। वरिष्ठ कांग्रेस नेता शोभा ओझा ने कहा कि भाजपा ने 2014 के अपने घोषणापत्र में कहा था कि वे महिला आरक्षण विधेयक लागू करेंगे लेकिन ऐसा करने में उन्हें नौ साल लग गए। उन्होंने कहा, “अब वे चुनाव के कारण यह विधेयक ला रहे हैं। वे जानते हैं कि मतदाता महंगाई, भ्रष्टाचार के कारण नाराज हैं। मैं इस विधेयक के लिए दिवंगत राजीव गांधी जी को धन्यवाद देना चाहती हूं, क्योंकि यह उनका विचार था।” वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व मंत्री अलका जैन ने इसका सारा श्रेय पूर्व प्रधानमंत्री और पार्टी के प्रतीक अटल बिहारी वाजपेयी को दिया। शीर्ष पद पर उनके कार्यकाल के दौरान भी महिला आरक्षण विधेयक को लेकर प्रयास किये गये लेकिन वह सफल नहीं हो पाये। उन्होंने कहा, कटनी में चार विधानसभा क्षेत्र हैं, लेकिन एक भी महिला विधायक नहीं है। 

खैर जब यह अमल में आ जाएगा, उसके बाद मध्य प्रदेश विधानसभा में वर्तमान की स्थिति में 76 महिलाएं बैठ सकेंगी। हालांकि, सवाल यह बना हुआ है कि यह कब तक लागू हो सकेगा। लेकिन इतना तो तय है कि भाजपा आगामी चुनाव में इस मुद्दे को महिलाओं के बीच जबरदस्त तरीके से उठाएगी और सियासी फायदा लेने की कोशिश करेगी। जाहिर सी बात है कि यह बिल 27 सालों से पेंडिंग में था। लेकिन किसी ने इस तरीके की राजनीतिक इच्छा शक्ति नहीं दिखाई। ऐसे में भाजपा इसको लेकर मोदी सरकार की वाहवाही जरूर करेगी। लेकिन देखना दिलचस्प होगा कि उसे जनता का कितना साथ मिल पाता है। यही तो प्रजातंत्र है। 

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